bhairav kavach - An Overview
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आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्डभैरवः
भुजङ्गभूषिते देवि भस्मास्थिमणिमण्डितः ।
यस्मै कस्मै न दातव्यं कवचं सुरदुर्लभम्।
तरमात्सर्व प्रयत्नेन दुर्लभं पाप चेतसाम् ।
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
यः पठेच्छृणुयान्नित्यं धारयेत्कवचोत्तमम् ॥ २२॥
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गजस्तथा
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